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गांधी परिवार के खिलाफ तेज हुए सुर, कांग्रेस के भीतर सुधार की वकालत करने वालों ने बुलंद की आवाज

नई दिल्ली। कांग्रेस के चर्चित समूह-23 के प्रमुख नेताओं की शनिवार को जम्मू में हुई बैठक से निकली आवाज ने गांधी परिवार के खिलाफ स्वर को और मुखर कर दिया है। पार्टी की दयनीय हालत के चुप्पी साधे नेता अब खुलकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। जी-23 के प्रमुख नेताओं में शामिल आनंदपुर साहिब (पंजाब) से सांसद मनीष तिवारी ने कांग्रेस को मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ा करने का इरादा जाहिर किया। कहा-जी 23 में जी का मतलब गांधी है और जी 23, गांधी के फालोअर हैं। इसलिए जी 23 का कोई अन्य अर्थ निकाला जाना गलत है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस का प्लेटफार्म नहीं था बल्कि अराजनीतिक एकत्र था। इसमें वहां के वह जीवंत (वायबरेंट) और प्रगतिशील (प्रोग्रेसिव) एनजीओ के लोग शामिल थे जो बहुमत हासिल कर तानाशाह रवैया अपनाने वाली भाजपा के खिलाफ खड़ा होने का साम‌र्थ्य रखते हैं। इसमें फैसला किया गया कि जम्मू कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हर स्तर पर कदम उठाए जाएंगे और संघर्ष किया जाएगा।

कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया से बातचीत में कहा कि हम लोग महात्मा गांधी के आदर्शो पर चल रहे हैं। हम गांधी वारियर्स हैं। हमारा इरादा कांग्रेस को तोड़ने-फोड़ने का नहीं है। हम लोग कांग्रेस को मजबूत करने निकले हैं। हमारे प्रयासों को अनुशासनहीनता बताने वाले लोग समझदार होते तो ऐसी बात नहीं करते।

क्या कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ जो नेता हैं, वे असली कांग्रेसी नहीं हैं? इसके जवाब में तन्खा ने कहा कि न कोई असली है न कोई नकली। वे भी कांग्रेस हैं, हम भी कांग्रेस हैं। पर हमें कांग्रेस को मजबूत करना है। यदि हम कांग्रेस को मजबूत नहीं करते हैं तो देश का प्रजातंत्र खत्म हो जाएगा। हम प्रयास कर रहे हैं कि विपक्ष खड़ा हो।

कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव के सवाल पर तन्खा ने कहा कि इस मुद्दे पर जी-23 ने कुछ नहीं कहा है। कांग्रेस पार्टी और कार्यकर्ता तय करते हैं कि नेतृत्व कौन करेगा। हम लोग तो नेतृत्व को मजबूत करना चाहते हैं। हम साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहते हैं।

उत्तर भारत को लेकर राहुल गांधी के हालिया बयान से भी पार्टी के नेता नाराज हैं। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के सदर से पार्टी की ही विधायक अदिति सिंह कहती हैं कि राहुल गांधी कोई क्षेत्रीय दल से नहीं हैं। एक राष्ट्रीय नेता हैं। उन्हें विभाजनकारी बातें शोभा नहीं देतीं। राहुल का बयान कार्यकर्ताओं के दिल को ठेस पहुंचाने वाला है। रायबरेली से ही कांग्रेस विधायक राकेश सिंह चिंता जताते हैं कि इससे पहले भी कांग्रेस की ओर से राम मंदिर और  अनुच्छेद 370 सहित देशहित के मुद्दों पर विवादित बयान सामने आए हैं।

उत्तर भारतीयों ने चार राज्यों में बनवाई थी सरकार

कांग्रेस के पूर्व सांसद संतोष सिंह का कहना है कि नेहरू-गांधी परिवार को सत्ता सौंपने में उत्तर भारत का बड़ा योगदान रहा है। 1992 में अयोध्या में ढांचा विध्वंस के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया था। उसके बाद हुए चुनाव में चारों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। राहुल बताएं- क्या तब उत्तर भारत के लोगों ने मुद्दा नहीं समझा था? क्या वह नासमझ थे?