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म्‍यांमार सैन्‍य तख्‍तापलट पर क्‍यों नरम पड़ा UN, कठोर प्रतिबंधों को लागू करवाने में क्‍यों असहाय हुए US और UK

संयुक्‍त राष्‍ट्र। संयुक्‍त राष्‍ट्र में महाशक्तियों के बीच सियसात के कारण संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई का मामल टल गया। सुरक्षा परिषद की बैठक में गुरुवार को म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट शब्‍द का नाम लिए बगैर आंग सांग सू की और अन्‍य नेताओं की रिहाई की मांग की गई। परिषद में म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के बजाए केवल आपातकाल पर चिंता व्‍यक्‍त की गई। सुरक्षा परिषद में कहा गया कि म्‍यांमार की सेना ने वहां हुए चुनाव में धोखाधड़ी के कारण सेना प्रमुख ने सत्‍ता अपने हाथ में ले ली और एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र का यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिका ने एक दिन पूर्व यह कहा था कि म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा था कि म्‍यांमार के पूरे राजनीतिक परिदृष्‍य पर अवलोकन और आकलन के बाद अमेरिका इस नतीजे पर पहुंचा है। इसके पूर्व अमेरिका में बाइडन प्रशासन ने म्‍यांमार में हुए सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद प्रतिबंधों की बात कही थी। खुद संयुक्‍त राष्‍ट्र ने सभी विकसित देशों से म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के विरोध में आगे आने के लिए कहा था। सवाल यह है कि फ‍िर ऐसा क्‍या हुआ कि संयुक्‍त राष्‍ट्र म्‍यांमार के तख्‍तापलट पर उदार हो गया।

दरअसल, सुरक्षा परिषद में म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट को लेकर एक राय नहीं बन सकी। रूस और चीन ने अमेरिका और पश्चिमी मुल्‍कों के‍ विपरीत म्‍यांमार सैन्‍य तख्‍तापटल पर जोर नहीं दिया। म्‍यांमार में सेना पर काईवाई को लेकर सुरक्षा परिषद में रूस और चीन का रुख नरम पड़ गया। हालांकि, सैन्‍य तख्‍तापटल पर चीन ने पहले ही कह दिया था कि म्‍यांमार में संविधान का सम्‍मान सभी को करना चाहिए। चीन ने उस वक्‍त भी तख्‍लापलट का नाम नहीं लिया था। चीन का यह बयान तब आया था, संयुक्‍त राष्‍ट्र समेत अमेरिका व पश्चिमी देशों ने म्‍यांमार में लोकतंत्र की हत्‍या पर चिंता प्रगट की थी।

सुरक्षा परि‍षद में म्‍यांमार सेना के खिलाफ कोई कठोर प्रतिबंध के बजाए केवल आंग सांग व अन्‍य नेताओं की रिहाई तक बात सिमट गई। सुरक्षा परिषद ने म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट का जिक्र किए बैगर कहा कि आपातकाल चिंता का विषय है। खास बात यह है कि सुरक्षा परिषद में म्‍यांमार तख्‍तापलट पर प्रस्‍ताव ब्रिटेन द्वारा तैयार किया गया था, लेकिन रूस और चीन के विरोध के कारण इस प्रस्‍ताव की भाषा सैन्‍य तख्‍तापलट के प्रति काफी नरम थी। इस प्रस्‍ताव में कहीं भी सैन्‍य तख्‍तापलट का प्रयोग नहीं किया गया।