न्यू चिलमटुंगरी स्थित सरना स्थल में हुआ सरहुल महोत्सव का आयोजन, लोगों के बीच बांटा गया प्रसाद
पाहान अकाल या कम बारिश होने की भविष्यवाणी भी करते है
Ramgarh:न्यू चिलमटुंगरी स्थित सरना स्थल शुक्रवार को सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में रजरप्पा थाना प्रभारी बिनोद कुमार मुर्मू व विशिष्ट अतिथि मायल मुखिया टुशील देवी, झामुमो के जिला संगठन सचिव महेंद्र मिस्त्री मौजूद थे। इस उपलक्ष्य में मौजूद अतिथियों का स्वागत सरना समिति के सदस्यों द्वारा पगड़ी पहनाकर किया गया। इससे पूर्व पहान सिमतराम मांझी द्वारा आदिवासी रीति रिवाज के साथ सरना स्थल में पूजा अर्चना किया गया। तत्पश्चात लोगों के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया।
ढोल नगारो की थाप पर लोग खूब थिरकते नज़र आये
समारोह में भारी संख्या में आदिवासी समाज के महिला, पुरुष एवं बच्चे शामिल हुए। आदिवासी महिलाओं वं पुरुषों ने अपने आस्था एवं विश्वास के साथ फूलों की वर्षा करके पराम्परागत प्राकृति देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर अपने सपरिवारों एवं गांव की सुख-शांति मंगलकामनाएं की वही प्रकृति के संरक्षण ले लिए पेड़ लगा कर उसकी रक्षा करने का संकल्प लिया । इस मौके मौजूद सभी उम्र और वर्ग के लोगों ढोल नगारो की थाप पर खूब थिरकते नज़र आये ।
पाहान अकाल या कम बारिश होने की भविष्यवाणी भी करते है
मौके पर मुख्य अतिथि रजरप्पा थाना प्रभारी ने कहा की प्रकृति की उपासना का पर्व है सरहुल। यह पर्व जल जंगल जमीन से जुड़ी हैं। क्योंकि हमलोग पेड़ पौधा की पूजा करते है। जिससे उनसे हमे जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि
सरहुल वसन्त के मौसम के दौरान मनाया जाता है, जब साल के पेड़ की शाखाओं पर नए फूल खिलते है। यह गांव के देवता की पूजा है, जिन्हे इन जनजातियों का रक्षक माना जाता है। लोग खूब-नाचते गाते हैं जब नए फूल खिलते है। देवताओं की पूजा साल की फूलों से की जाती है। गांव के पुजारी या पाहान कुछ दिनों के लिए व्रत रखते है। सुबह में वह स्नान लेते है और कच्चा धागा से बना एक नया धोती पेहनते है। उस दिन के पिछली शाम , तीन नए मिट्टी के बर्तन लिये जाते है, और ताजा पानी भरा जाता है और अगली सुबह इन मिट्टी के बर्तन के अंदर, पानी का स्तर देखा जाता है। अगर पानी का स्तर कम होता है, तो इससे अकाल या कम बारिश होने की भविष्यवाणी की जाती है, और यदि पानी का स्तर सामान्य रहता है, तो वह एक अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है।
सरहुल महोत्सव के मौके पर रोगन मांझी, सुखलाल मुर्मू, पुरन सोरेन, बिहारी मरांडी, रूपलाल किस्कू, बाबूदास सोरेन, बासुदेव हेम्ब्रम, बालाराम सोरेन, बंशी मांझी, बबलू किस्कू, हरिलाल मांझी, सोहन मांझी, लक्ष्मण हांसदा सहित कई मौजूद थे।