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उत्तर प्रदेश कांग्रेस में बढ़ता जा रहा असंतोष, दिल्ली में जी-23 के बाद अब यहां भी सुलगता जी-230

लखनऊ। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में सुधार की आवाज उठाने वाले 23 वरिष्ठ नेताओं के समूह जी-23 जैसा ही हाल उत्तर प्रदेश कांग्रेस में भी बनता दिख रहा है। खुद को शोषित समझने वाला कांग्रेसियों का समूह वाट्सएप ग्रुप पर लगातार प्रदेश नेतृत्व की कार्यशैली में सुधार की मांग के साथ पार्टी में वामपंथी विचारधारा के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ मुखर है। कुल 244 सदस्यों वाले इस ग्रुप में राष्ट्रीय स्तर के नेता भी जुड़े हैं, जो किसी मुखालफत का विरोध नहीं करते और सिर्फ ‘वेट एंड वॉच’ की मुद्रा में हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी बनते ही राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने संगठन को अपने ढंग से बनाना शुरू किया। प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश कार्यकारिणी से लेकर बूथ और ब्लॉक स्तर तक नई टीम खड़ी कर दी। इसके समानांतर पुराने कांग्रेसियों की टीस सामने आती रही कि उनकी उपेक्षा की जा रही है, लेकिन पार्टी उसे नजरअंदाज करती गई। अब पार्टी की ओर से दावा किया जा रहा है कि संगठन पूरी तरह तैयार हो चुका है, सिर्फ मुद्दों को गंभीरता से उठाकर पंचायत और फिर विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल करनी है। इस बीच कांग्रेस के लिए यह चिंता की बात है कि संगठन में अंदरखाने असंतोष भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।

दरअसल, करीब डेढ़ वर्ष पहले पार्टी में जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाने वाले कार्यकर्ता कोणार्क दीक्षित को निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने ही शोषित कांग्रेसी सवर्ण नाम से वाट्सएप ग्रुप बनाया। चूंकि, निष्कासित कार्यकर्ता ने ग्रुप बनाया है, इसलिए पार्टी बेशक नजरअंदाज कर दे, लेकिन खास बात यह है कि इस ग्रुप में ऐसे वरिष्ठ नेता भी जुड़े हैं, जो सिर्फ उत्तर प्रदेश कांग्रेस ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख नेताओं में शामिल हैं। कुल 244 सदस्यों वाले इस ग्रुप में 12-14 मीडिया कर्मियों को छोड़ दें तो बाकी सब कांग्रेसी ही हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, करीब एक दर्जन पूर्व व वर्तमान जिला-शहर अध्यक्ष हैं। ब्लॉक अध्यक्ष व अन्य जमीनी कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

वाट्सएप ग्रुप के नाम से स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी में सवर्णों की अनदेखी का मुद्दा जोरशोर से उठाया जा रहा है। प्रदेश नेतृत्व की कार्यशैली से नाराजगी जताई जा रही है। साथ ही सबसे ज्यादा आरोप यह लगाया जा रहा है कि हाईकमान के कुछ खासमखास लोग वामपंथी विचारधारा को पार्टी पर थोप रहे हैं। गैर कांग्रेसियों को पुराने कांग्रेसियों से ज्यादा महत्व मिल रहा है। हालांकि, चर्चा के केंद्र में पार्टी हित और सुधार ही रहता है। ग्रुप में शामिल वरिष्ठ नेता यह दलील दे सकते हैं कि किसी भी पोस्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, लेकिन वह किसी विरोध को गलत भी तो नहीं ठहराते। इनमें से किसी ने ग्रुप छोड़ा भी नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पहले टीम प्रियंका की ओर से कई वरिष्ठ नेताओं से कहा जा चुका है कि ग्रुप से अलग हो जाएं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।