नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने वाले हैं। उससे पहले किसान आज ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल करेंगे। दिल्ली बॉर्डर पर आज भी बड़ी संख्या में ट्रैक्टर दौड़ेंगे, इसमें महिलाएं भी शामिल होंगी। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से कहा कि बातचीत से पहले किसी भी तरह का कोई मार्च न निकालें।
मंत्री ने कहा कि नए कृषि कानून किसान समुदाय के हित में हैं और कुछ ही राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तक हमारे बीच नौ दौर की वार्ता हो चुकी है। मैंने हमेशा कहा है कि किसान संगठनों को कानून के प्रावधानों पर चर्चा करनी चाहिए। सरकार इस पर चर्चा कर रही है और अगर वे कानून के प्रावधानों में कोई समस्या बताते हैं तो सरकार खुले दिल से चर्चा करना चाहती है।”
काफी बलिदानों के बाद मिली स्वतंत्रता
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह किसानों के प्रति समर्पित है। गणतंत्र दिवस पर आंदोलनकारी किसानों द्वारा दिल्ली में ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की योजना पर तोमर ने कहा कि मैं किसानों से अपील करना चाहता हूं कि 26 जनवरी हमारा गणतंत्र दिवस है और काफी बलिदानों के बाद देश ने स्वतंत्रता हासिल की है और गणतंत्र दिवस की गरिमा प्रभावित नहीं हो, यह किसानों की भी जिम्मेदारी है। मुझे उम्मीद है कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे। प्रदर्शनकारी किसान नेताओं ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में कहा कि किसानों को शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली निकालने का अधिकार है और कहा कि 26 जनवरी को प्रस्तावित कार्यक्रम में हजारों लोग हिस्सा लेंगे।
बता दें कि किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता अब 20 जनवरी को होगी। केंद्र ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है। तोमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगली बैठक में किसान संगठन विकल्पों (कानूनों को वापस लेने के अलावा) पर चर्चा करेंगे ताकि किसी समाधान तक पहुंचा जा सके। 41 कृषि संगठनों के साथ दसवें दौर की वार्ता होने वाली है। अभी तक की जितनी भी वार्ता हुई उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है क्योंकि आंदोलनकारी किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार ने इस तरह का कदम उठाने से इंकार कर दिया है।