झारखंड में इतिहास यही है की तीन लाख से ज्यादा हम लोग रोजगार नहीं दे पाए थे लेकिन अभी हम लोग 7 लाख 62 हज़ार रोजगार दिए हैं, विगत कुछ दिनों से मनरेगा कर्मी बिना इंफॉर्मेशन के हड़ताल पर चले गए हैं उन लोगों से हमारी बातें हुई है हमने कहा ठीक है कोविड-19 का दौर चल रहा है आप लोग काम पर जाइए निश्चित रूप से हमारी सरकार तथा विभाग संवेदनशील है आप लोगों की मांगों पर विचार किया जाएगा”। ये बातें झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कही।
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की प्रदेश कमेटी के आह्वान पर जिला इकाई के सभी मनरेगा कर्मी विते सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। मनरेगा कर्मियों के इस राज्यव्यापी हड़ताल से पूरे राज्य के करीब 5000 से अधिक मजदूर प्रभावित होते हुए बेरोजगार हो गए हैं। इनके इस हड़ताल से पंचायतों में चल रही बिरसा मुंडा हरित ग्राम योजना, टीबीसी, कूप और आम बागवानी योजना ठप्प है।
मनरेगा कर्मियों की मुख्य मांगे स्थाई करण, 25 लाख का जीवन बीमा के साथ 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा, मृत मनरेगा कर्मी के आश्रित को 25 लाख का मुआवजा एवम सरकारी नौकरी सहित कई मांगे शामिल है।
पूरे मामले में ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि कोविड-19 के बाद जिस तरह ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार हमलोगों ने रोजगार देने का काम किया हैं, और झारखंड में इतिहास यही है की तीन लाख से ज्यादा हम लोग रोजगार नहीं दे पाए थे लेकिन अभी हम लोग 7 लाख 62 हज़ार रोजगार दिए हैं, विगत कुछ दिनों से मनरेगा कर्मी बिना इंफॉर्मेशन के हड़ताल पर चले गए हैं।
उन लोगों से हमारी बातें हुई है हमने कहा ठीक है कोविड-19 का दौर चल रहा है आप लोग काम पर जाइए निश्चित रूप से हमारी सरकार तथा विभाग संवेदनशील है आप लोगों की मांगों पर विचार किया जाएगा, मुझे जहां तक जानकारी है कि सभी जिले में हड़ताल नहीं है कुछ जिले हड़ताल से अलग भी हैं, हमने सभी से अपील किया है कि आप हड़ताल पर ना जाएं इससे ग्रामीण व्यवस्था चरमरा जाएगी आपकी जो जायज मांगे हैं उस पर कार्रवाई जरूर होगी l