Logo
ब्रेकिंग
आखिर क्यों एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से जाने जाते हैं रामगढ़ के नए थाना प्रभारी प्रमोद सिंह? रामगढ़ पुलिस ने तीन तस्कर को किया गिरफ्तार, बिहार जारही लाखों कि शराब व दो वाहन जप्त भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकसभा एवं विधानसभा में भाग लेने वाले वालेंटियर से जाने मतदान के अनुभव भाजपा नेता अनिल टाइगर ह*त्या के विरोध में विधानसभा के बाहर बीजेपी का विरोध प्रदर्शन भाजपा नेता अनिल टाइगर की ह*त्या के विरोध में रांची हुआ बंद, भाजपा नेता प्रतुल शहदेव गिरफ्तार झारखंड का ऐसा मंदिर, जहां महिलाओं के प्रवेश पर हैं रोक भगवान पर चढ़ती है शराब,100 वर्षों से हो रही प... राधा गोविंद यूनिवर्सिटी के प्रथम दीक्षांत समारोह में 1152 स्टूडेंट्स को मिला शैक्षणिक प्रमाण पत्र राधा गोविंद विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह 9 मार्च को ,1150 विद्यार्थियों को प्रदान की जाएगी... अवैध नकली शराब फैक्ट्री हुआ भंडाफोड़, करीब 30 लाख रुपए का अवैध शराब जप्त झारखंड 10वीं बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक के विरोध में प्रदर्शन, आजसू ने फुका मुख्यमंत्री का पुतला

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के शोध पत्र में बड़ा फर्जीवाड़ा, द लैंसेट ने लिया एक्‍शन, US में शुरू हो सकती है सियासत

न्‍यूयॉर्क। कोरोना वायरस को लेकर एक बड़ा शोध घोटाला उजागर हुआ है। चिकित्‍सा क्षेत्र की दुनिया की सबसे प्रभावशाली एक पत्रिका द लैंसेट ने मलेरिया ड्रग्स क्लोरोक्विन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन पर किए गए चार लेखकों के फर्जी शोध पत्र को वापस ले लिया है। इन लेखकों का दावा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कोरोना महामारी की लड़ाई में गेमचेंजर्स के रूप में इस्तेमाल किए जाने से रोगियों में मृत्यु दर बढ़ जाती है। इसके साथ ही उम्‍मीद की जा रही है कि अमेरिका में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन दवा को लेकर फ‍िर सियासत गरम हो सकती है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में भी प्रकाशित हुआ लेख  

इस शोधपत्र चार वैज्ञानिक शामिल थे। इनमें प्रमुख रूप से डॉ मंदीप आर मेहरा, डॉ अमित एन पटेल, डॉ सपन देसाई और डॉ फ्रैंक रुशिट्जका शामिल थे। शोधपत्र का फर्जी पाए जाने के बाद प्रसिद्ध पत्रिका ने इस शोधपत्र को हटा लिया है। हालांकि, पत्रिका में आगे की कार्रवाई का जिक्र नहीं किया गया है। खास यह शोध पत्र उस समय सामने आया, जब यह दावा किया गया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना रोगियों के उपचार में बेअसर है। इस शोध पत्र के बाद इस स्‍थापित धारणा को और हवा मिली। इसके पूर्व ऐसा ही एक शोध न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित किए गए थे।

दवा के सेवन को लेकर अपने स्‍टैंड से हटा डब्ल्यूएचओ

इस बीच  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस ने कहा कि विशेषज्ञों ने इस दवा के सुरक्षा संबंधी डाटा के अध्ययन के बाद फिर से परीक्षण की सिफारिश कर दी है।  डब्ल्यूएचओ को संचालित करने वाले कार्यकारी समूह ने परीक्षण में शामिल सभी दवाओं के समूहों को जारी रखने की अनुसंशा कर दी है। इसके साथ ही कोरोना की दवाओं के परीक्षण में शामिल मरीजों को जल्द ही फिर से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा दी जाने लगेगी। उन्होंने बताया कि इस सिफारिश का मतलब यह है कि जिन मरीजों ने खुद पर कोरोना दवाओं के परीक्षण की सहमति दे रखी है उन्हें डॉक्टर यह दवा देने लगेंगे। महानिदेशक ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की सुरक्षा निगरानी कमेटी ने एचसीक्यू के वैश्विक डाटा का परीक्षण कर लिया है।