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एकल अभियान का परिवर्तन कुंभ 16 फरवरी से लखनऊ में, 45 देशों के प्रतिनिधि जुटेंगे

इसके तहत अब सिर्फ प्राथमिक शिक्षा ही नहीं आरोग्य, ग्राम विकास, ग्राम स्वराज एवं संस्कार देने का काम भी यह संगठन कर रहा है।

रांची।  एकल अभियान का तीन दिवसीय परिवर्तन कुंभ 16 फरवरी से लखनऊ में शुरू होगा। इस कार्यक्रम में एकल अभियान के कार्यों से समाज में हुए परिवर्तन को लोगों के बीच रखा जाएगा। अभी पूरे देश में 1,00,256 एकल विद्यालय चल रहे हैं, जिसमें 27,35,268 बच्चे पढ़ रहे हैं। बताते चलें कि पिछले छह दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सोनगढ़ में एक लाखवें एकल विद्यालय का ऑनलाइन शुभारंभ किया था।

परिवर्तन कुंभ के पहले दिन रामाबाई अंबेडकर मैदान में प्रस्तावित सार्वजनिक कार्यक्रम में लगभग डेढ़ लाख लोग शामिल होंगे। कुंभ में भाग लेने के लिए पूरे देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के लगभग सभी गांवों से लोगों को आमंत्रित किया गया है। शेष दो दिनों तक एकल के तीन हजार अधिकारी अब तक हुए कार्यक्रमों एवं भावी कार्यक्रमों पर चर्चा करेंगे। इनके कार्यों से समाज में क्या परिवर्तन हुए, फिल्म के माध्यम से उसे प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें 45 उन देशों से भी लोग भाग लेंगे, जहां एकल का काम चल रहा है

धनबाद से हुई थी एकल विद्यालय की शुरुआत

एकल विद्यालय की शुरुआत 1989 ई. में धनबाद के टुंडी से हुई थी। स्वामी विवेकानंद के ध्येय वाक्य ‘बच्चे स्कूल नहीं जा सके तो स्कूल को ही बच्चों के पास जाना चाहिएÓ को चरितार्थ करते हुए आदिवासी इलाके में आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक भाऊराव देवरस की प्रेरणा से एकल विद्यालय की स्थापना की गई। इसके संस्थापक सदस्य एवं आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक श्यामजी गुप्त के मार्गदर्शन में एकल विद्यालय का काम लगातार बढ़ता जा रहा है।

इसके तहत अब सिर्फ प्राथमिक शिक्षा ही नहीं आरोग्य, ग्राम विकास, ग्राम स्वराज एवं संस्कार देने का काम भी यह संगठन कर रहा है। काम बढऩे के बाद इसका नाम एकल विद्यालय की जगह एकल अभियान कर दिया गया। बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ स्वाभिमानी भारत बनाने का काम भी यह संगठन कर रहा है। जैविक खेती को भी इस माध्यम से पूरे देश में बढ़ावा दिया रहा है।

झारखंड में 8000 एवं उत्तर प्रदेश में चल रहे हैं 18863 एकल विद्यालय

एकल अभियान के केंद्रीय संवाद प्रमुख अमरेंद्र विष्णुपुरी ने कहा कि झारखंड में 8000 एकल विद्यालय चल रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में 18863, उत्तराखंड में 3300, जम्मू-कश्मीर में 6000, जबकि लद्दाख में 100 विद्यालय चल रहे हैं। शेष विद्यालयों का संचालन अन्य राज्यों में हो रहा है। एक स्कूल के एक पालक होते हैं। वर्ष भर का खर्च 20,000 रुपये आता है, जो वे देते हैं। एकल का पूरा खर्च समाज के सहयोग से चलता है। यहां छठी कक्षा तक बच्चों कीपढाई होती  है। ïइसके बाद सरकारी विद्यालयों में उनका नामांकन कराया जाता है।