Gwalior News: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मेट्रो शहर के सरकारी स्कूल में लक्ष्मी (परिवर्तित नाम) लेक्चरर हैं। वे आंखों से साफ नहीं देख सकती हैं। बड़ी बहन सहित दो भाई भी आंखों से नहीं देख सकते, परिवार में यह जेनेटिक डिसऑर्डर है। लक्ष्मी के पति का एक हाथ व कुछ हिस्सा काम नहीं करता है, वे भी निजी कंपनी में पदस्थ हैं। छह साल शादी को हो चुके थे और संतान पैदा करने का साहस लक्ष्मी नहीं कर सकीं, क्योंकि होने वाला बच्चा अगर दुनिया नहीं देख सकेगा तो इससे बड़ा दुख क्या होगा। लक्ष्मी और उनके पति ने बच्चा गोद लेने का निर्णय लिया और दो साल के इंतजार के बाद ग्वालियर की संस्था से 6 माह की बिटिया को शुक्रवार को विधिवत गोद लिया। लक्ष्मी के लिए तो घर बिटिया के साथ मानो उनकी रोशनी भी आ गई हो।
लक्ष्मी और उनके पति ने सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) में ऑनलाइन आवेदन कर रखा था। उन्होंने बेटी को गोद लेने की इच्छा आवेदन में जाहिर की थी। करीब दो साल का समय बीतने के बाद उनके पास बेटी गोद लेने के लिए सूचना आई और ग्वालियर में बालाजी शिशु गृह में रहने वाली छह माह की लाडो गोद देने की प्रक्रिया शुरू हुई। महिला एवं बाल विकास विभाग ने सोशल इंवेस्टिगेशन के साथ साथ सभी तरह की जांच पूरी की। लक्ष्मी घर में बच्ची के लिए केयरटेकर की व्यवस्था भी करेंगी।
लक्ष्मी की बड़ी बहन ने भी गोद ली थी बेटीः लक्ष्मी की बड़ी बहन भी सरकारी नौकरी में हैं और उनके भाई भी उच्च पदों पर अफसर हैं। जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण सभी भाई बहनों को आंखों से दिखता नहीं है। लक्ष्मी की बड़ी बहन ने भी दूसरे शहर से कारा के जरिए बेटी गोद ली थी। बहन को भी यही चिंता थी कि उनकी संतान भी जेनेटिक डिसऑर्डर का शिकार हो जाएगी।
लक्ष्मी को एक-एक नियम पता था,चौंक गए अफसरः ग्वालियर में गोद लिए जाने की प्रक्रिया के दौरान लक्ष्मी ने अफसरों को गोद लेने की प्रक्रिया से लेकर कारा संस्था के एक-एक नियम के बारे में बताया। लक्ष्मी की गोद लिए जाने की जानकारी को देखकर चौंक गए। महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों के साथ ऐसा पहली बार हुआ था, जब उनको गोद लेने वाले ही पूरे नियम बता रहे थे।
वर्जन-
बालाजी शिशु गृह से बेटी को गोद दिया गया है। दंपती ने कारा संस्था के माध्यम से प्रोसेस कर आवेदन किया था और सभी वैधानिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद छह माह की बेटी को गोद दिया गया है
शालीन शर्मा, सहायक संचालक,महिला एवं बाल विकास विभाग