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जंगल में गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष रोकने की कवायद

उमरिया। गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष न हो इसके लिए वन प्रबंधन तैयारी में जुट गया है। गर्मियों में पशु संग्राम की सबसे बड़ी वजह पानी की कमी होती है। पानी की कमी होने पर वन्य प्राणी अपनी टैरेटरी छोड़ने लगते हैं और पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं। इस दौरान जब उनका आमना-सामना होता है तो संघर्ष शुरू हो जाता है और यह संग्राम तब ही खत्म होता है जब किसी एक की मौत हो जाती है।

इस स्थित‍ि को टालने के लिए सबसे जरूरी कदम है जंगल में पानी का बेहतर प्रबंधन जिसके लिए पार्क प्रबंधन अब जुट चुका है। जंगल के अंदर मौजूद पुराने वॉटर होल की सफाई का काम शुरू हो गया है और नए वॉटर होल बनाने की योजना पर चर्चा शुरू हो गई है। इन सभी वॉटर होल को पानी से भरने के लिए जंगल के अंदर बोरिंग करके उसमें सोलर पावर पंप लगाए गए हैं।

वनराज कूल तो सब कूल

वनराज को कूल रखने के लिए जंगल में जल प्रबंधन किया जा रहा है। जल प्रबंधन बेहतर होगा तो गर्मी में सूर्यदेव फिर चाहे जितने उग्र होंगे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वनराज उतने ही कूल रहेंगे। फिर गर्मी चाहे जितनी ज्यादा बढ़े बाघों को पीने के लिए उतना ही ज्यादा पानी मिलेगा। ऐसा संभव हो पाएगा जंगल के अंदर सोलर पॉवर सबमर्सिबल पंप की बदौलत। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन साल पहले 27 में से 12 बोरिंग में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के माध्यम से सोलर पॉवर सबमर्सिबल पंप लगवाए गए थे। ये पंप बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उन वाटर होल को पानी से लबालब कर देंगे जो बाघों के आवास के आसपास निर्मित किए गए हैं। स्वचलित इन पंपों के माध्यम से दिनभर पानी की सप्लाई होती रहेगी और वनराज को ठण्डक मिलती रहेगी।

यहां लगे हैं पंप

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली वनपरिक्षेत्र में तीन स्थानों पर वनतलैया, बगदार कैम्प तथा तख्ती सीमा लाइन में ताला के दो स्थानों मढ़ोली कैम्प तथा सुवाही वाह में, पनपथा के सिद्घ पहाड़ी में, मगधी के मढ़गवां तालाब और पाठकूदर तालाब, कल्लवाह के कल्लवाह में, पतौर के मेडादेव कैम्प, मानपुर के रिजर्व फॉरेस्ट 263 गजवाही और पनपथा कोर के आरएफ 615 वेडीगली कैम्प में सोलर पॉवर सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं। इसके अलावा भी कई स्थानों पर पंप लगाकर वॉटर होल भरने का काम किया जाता है।

इस तरह भरेंगे होल

जंगल में इस समस्या को दूर करने के लिए पार्क में 27 स्थानों पर बोरिंग कराई गई है जिसमें पॉवर पंप डाले गए हैं। यहीं से पाइपों के माध्यम से पानी की सप्लाई की जाती है। पाइपों के माध्यम से एक बोर से 15 से 20 स्थानों तक पानी भेजा जाता है। इस तरह 12 पंपों के माध्यम से लगभग 200 स्थानों पर पानी पहुंच जाता है। गौरतलब है कि अब से पहले चार पांच टैंकरों के माध्यम से वाटर होलों को भरा जाता था लेकिन इससे पर्याप्त पानी बाघों को नहीं मिल पाता था। अब सारा दिन सप्लाई चालू रहने से बाघों को पर्याप्त पानी मिलेगा।