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Jamshedpur शहीद बहरागोडा के लाल गणेश हांसदा के अंतिम दर्शन को जन सैलाब उमड पडा

जमशेदपुर: वो गांव मेरा आबाद रहे जिस गांव को लौट न सका। जी हां बहरागोडा का लाल गणेश हांसदा जीवित तो नहीं लौटा मगर शहीद का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर जब गांव आया तो सबने कहा–मौत मिले तो ऐसी।मौत हो तो देश के लिए क़ुर्बान होकर हो।भारत चीन सीमा पर शहीद हुए बहरागोडा के लाल गणेश हांसदा के अंतिम दर्शन को जन सैलाब उमड पडा।

बहरागोडा प्रखंड के चिंगडा पंचायत  के कासियाफला गांव में अपने लाल शहीद गणेश हांसदा के अंतिम दर्शन को हजारों लोग उमड़ पडे।भाई दिनेश हांसदा और परिजन गमगीन हैं।दुख तो है पर फक्र भी।फुटबाॅल का दीवाना गणेश हांसदा देश के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना सालों से रखता था।अपनी सैलरी  का एक बडा हिस्सा गांव के लिए खर्च कर देता। 26 जनवरी में जब छुट्टी मैं आया था गणेश  हांसदा  तो पूरे गांव के बच्चों को खरीद कर झंडा दिया था और साथ ही साथ गांव में 26 जनवरी के दिन झंडा फहराया था इससे पता चलता है कि गणेश हाजरा को तिरंगा और अपने वतन से कितना प्यार था ।
लगभग सुबह दस दस में गांव के बाहर बने हैलिपैड में जब शहीद गणेश हांसदा का पार्थिव शरीर आया तो उसके दर्शन को जन सैलाब उमड पडा।हैलिपैड से शवयात्रा निकली जो गांव की दहलीज पर पहुंची। वहां एक छोटी सी श्रद्धांजली सभा आयोजित हुई उसके बाद पार्थिव शरीर को घर ले जाया गया।घर के भीतर कुछ रीति रिवाजों के पालन के बाद गांव के मैदान में शहीद का पार्थिव शरीर रखा गया।यहां परंपरागत तरीके से ग्रामीणों और परिजनों ने अंतिम विदाई दी और श्रद्धा सुमन अर्पित किए।उसके बाद घर के पीछे कुछ दूरी पर शहीद के पार्थिव शरीर को लाया गया।सेना के जवानों ने सलामी दी।सांसद  विद्युतवरण महतो, दिनेशानंद गोस्वामी, डीसी रविशंकर शुक्ला, एसएसपी तमिल वानन और अन्य ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।अंतत:पारंपरिक आदिवासी रीति रिवाज के साथ शहीद गणेश हांसदा का अंतिम संस्कार किया गया।इस तरह वे पंचतत्व में विलीन हो गए।