इंदौर। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार गृह निर्माण सहकारी संस्था की अयोध्यापुरी कालोनी में करीब 25 भूखंड ऐसे हैं जिनकी दो अलग-अलग लोगों को रजिस्ट्रियां हैं। इन रजिस्ट्रियों की जांच में बाद वाली रजिस्ट्री अवैध साबित होगी। कालोनी में कुल 369 भूखंड हैं जिसमें से अब तक 265 भूखंडों की रजिस्ट्रियां संस्था ने जुटा ली हैं। करीब 22 भूखंडों की रजिस्ट्रियां और दस्तावेज सदस्यों ने अब तक संस्था के पास जमा नहीं किए हैं। संस्था में दस्तावेजों के सत्यापन और संकलन का काम अब भी जारी है।
प्रशासन द्वारा भू-माफिया के खिलाफ चलाए गए अभियान में इस संस्था को प्राथमिकता पर लिया गया है। इसमें सदस्यों को उनके भूखंड पर कब्जा दिलाने के साथ ही भू-माफिया को अवैध तरीके से बेची गई संस्था की जमीनें भी वापस लाने की प्रक्रिया चल रही है। संस्था की जमीन सिम्प्लेक्स कंपनी और केएस सिटी को बेचे जाने के प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं। जमीन के इन हिस्सों की रजिस्ट्री कोर्ट से निरस्त करवाकर इसे वापस संस्था के सुपुर्द किया जाएगा। बताया जाता है कि एक ही भूखंड की दो बार अलग-अलग लोगों को रजिस्ट्री करने में संस्था के पूर्व पदाधिकारियों के अलावा सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रशासकों का भी हाथ है।
इनमें संस्था के पूर्व अध्यक्ष के अलावा सहकारिता विभाग के कर्मचारी और प्रशासक रहे सत्येंद्र ओझा और महेंद्र श्रीवास्तव का नाम सामने आया है। ऐसी रजिस्ट्रियां वर्ष 2004 से 2006 के बीच हुई हैं। संस्था में 70-72 सदस्य ऐसे भी हैं जिनको भूखंड का आवंटन तो है लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है। इन सदस्यों के पैसे जमा हैं और इनके पास जमा पैसे की रसीदें भी हैं। संस्था की ओर से ऐसे सदस्यों को भूखंड की रजिस्ट्री कराई जाएगी। उधर एमआर-9 और एमआर-10 के बीच श्री महालक्ष्मी नगर कालोनी में भी देवी अहिल्या सोसाइटी की जमीन है। यहां संस्था के करीब 200 सदस्यों को भूखंड का पंजीयन किया गया है।