नई दिल्ली। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) ने ई-कॉमर्स नीति के मसौदे में कहा है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अपने विक्रेताओं में भेदभाव नहीं कर सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार किसी उद्योग के विकास के लिए डाटा इस्तेमाल के सिद्धांत तय करेगी। साथ ही डाटा तक अनधिकृत व्यक्तियों की पहुंच और दुरुपयोग रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएंगे। डीपीआइआइटी के शीर्ष अधिकारी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक में मसौदे पर विचार-विमर्श किया गया।
मसौदा नीति के मुताबिक सरकार निजी और गैर-निजी डाटा पर नियमन तैयार करने की प्रक्रिया में है। औद्योगिक विकास के लिए डाटा साझा करने को प्रोत्साहित किया जाएगा। मसौदे के मुताबिक सरकार ई-कॉमर्स, उपभोक्ता संरक्षण, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा के लिए डाटा के इस्तेमाल के सिद्धांत तय करेगी।
सरकार मानती है कि डाटा बेहद महत्वपूर्ण परिसंपत्ति है। भारत के डाटा इस्तेमाल का पहला अधिकार भारतीय इकाइयों का होगा। बैठक में कहा गया है कि ई-कॉमर्स परिचालकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा इस्तेमाल पक्षपातपूर्ण नहीं हो।
मसौदा नीत में यह भी
– उपभोक्ताओं को बिक्री के लिए पेश वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ी सभी जानकारियां मिलनी चाहिए। उन्हें इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए कि संबंधित उत्पाद का मूल देश कौन सा है और भारत में इसमें क्या वैल्यू एडीशन किया गया है।
– ई-कॉमर्स कंपनियों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म से जाली उत्पाद नहीं बिकें। इसके उल्लंघन के मामले में जिम्मेदारी ऑनलाइन कंपनी और विक्रेता की होगी।