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पिता का कर्ज उतारने के लिए पकड़ती थी मछली, अब कैनोइंग में एशिया की नं.1 खिलाड़ी बनी कावेरी

नसरुल्लागंज: कहते हैं जब हौसले बुलंद हो तो सपने सच हो ही जाते हैं। किसी ने सोचा भी न होगा कि नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में पिता का कर्ज उतारने के लिए मछली पकड़ने वाली मामूली लड़की कावेरी केनोइंग स्पर्धा में भारत की नंबर वन खिलाड़ी बन जाएगी। जी हां एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली कावेरी ने देश के नामी 18 खिलाड़ियों को पछाड़ दिया। जूनियर, सब जूनियर व सीनियर वर्ग के खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए वह नंबर वन खिलाड़ी बन गई। इसके साथ ही कावेरी का चयन थाइलैंड के पटाया में होने वाले ओलंपिक क्वालिफायर व एशियन चैंपियनशिप के लिए हुआ है।

ये कहानी है संघर्ष की एक पिता और उसकी बेटियों मोनिका, स्वाति और कावेरी की। कावेरी के पिता बेहद गरीब थे और पिता का 40 हजार रुपए का कर्ज उतारने के लिए बड़ी बहन मोनिका, स्वाति व कावेरी बैकवाटर में नाव चलाने लगी। पिता रात में जाल बिछाते तीनों बहनें सुबह जाकर जाल से मछली निकालती और ठेकेदार को दें आती।

ऐसा रोजाना कर उन्होंने पिता का कर्ज उतारने में मदद की। छोटी सी उम्र में न सिर्फ अपने पिता के कर्ज को दूर किया, बल्कि परिवार का पालन पोषण भी किया। रोज की इस प्रैक्टिस से कावेरी कब एक अच्छी नाविक बन गई पता ही नहीं चला और देखते ही देखते कावेरी ने एक के बाद एक दर्जनों स्वर्ण पदक हासिल किए।

तीनों बेटियों के किस्से सुनकर खेल अधिकारी खंडवा कावेरी के गांव पहुंचे ओर पिता रणछोड़ से तीनों बहनों को भोपाल अकादमी में ट्रायल दिलाने के लिए मनाया। इस ट्रायल में कावेरी ने बेहतर प्रदर्शन किया और उसे 2016 में मप्र वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला मिल गया। कावेरी ने इंदिरा सागर बांध के बेकवाटर से तैराकी सीखकर विदेशी खेल कैनोइंग में सफलता प्राप्त की।

मेहनत और लगन के दम पर कावेरी ने न केवल मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई बल्कि 17 साल की उम्र में यह बड़ा मुकाम भी हासिल किया। इस अपार सफलता से कावेरी के परिवार के सदस्य बेहद खुश है और भविष्य में इसी तरह देश का नाम रोशन करने की कामना करते है।