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Ramgarh कारगिल युद्ध में गोली खाने के बावजूद जीवन प्रजापति ने नहीं खोया हौसला

जीत की खुशी ने भर दिए युद्ध के जख्म

रामगढ़: कारगिल युद्ध में हज़ारो सैनिकों को भारत के जांबाज सेना ने मौत के घाट उतार दिया. एक सैन्य टुकड़ी का हिस्सा झारखंड के रामगढ़ जिला के गोला प्रखंड के जीवन प्रजापति भी थे. कारगिल युद्ध में गोला प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती क्षेत्र कोरांबे गांव के जीवन प्रजापति भी लड़ाई लड़ी थी. इन्हें दो गोली पीठ में और एक गोली जंघा में लगी थी. इसके बावजूद उन्होंने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था. जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई जवान मारे गये थे. आज भी कारगिल युद्ध का नाम सुनते ही इनका चेहरा चमक उठता है. क्योंकि इस लड़ाई में भारत की जीत हुई थी.

26 जुलाई 1999 के दिन ही जीवन प्रजापति पाकिस्तान को उसकी कायराना हरकतों का करारा जवाब देते हुए कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी. देश के लिए कुर्बान होने वाले शहीदों की याद में 26 जुलाई को पूरा देश विजय दिवस के रूप में याद करता है. उन्होंने कहा कि जब वे लड़ाई लड़ रहे थे, तो सुबह लगभग चार बजे इन्हें तीन गोली लगती है. इसके बाद वे खून से लतपथ हो जाते है. इसके बावजूद वे फायरिंग करते रहे . इसके बाद भारतीय जवान घायल अवस्था मे इन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाते है.

उन्होंने बताया कि इस युद्ध में इनके बटालियन के सकतार सिंह शहीद हो गये थे. वहीं महेंद्र सिंह, निर्भय सिंह सहित कई जवान घायल हो गये थे. उन्होंने बताया कि जब मुझे गोली लगी थी, उस समय कुछ माह पूर्व मेरे पुत्र का जन्म हुआ था. लेकिन युद्ध के कारण हम घर नहीं आ पाये थे. जिस कारण दो वर्ष तक हम अपने बेटे का भी मुंह नहीं देख पाये थे.

जीवन प्रजापति वर्ष 1984 में एन फेंट्री सेना में भर्ती हुए थे. कई जगह इनकी पोस्टिंग हुई. 1988 में श्रीलंका गये. जहां उग्रवादी संगठन के साथ लड़ाई लड़ी थी. यहां वे 18 माह रुके थे. इसके बाद इन्होंने कमांडों का कोर्स किया. इसके बाद वे श्रीनगर चले गये. जहां से कारगिल के युद्ध में शामिल हुए. वर्ष 2010 में वे हवलदार बने थे.

जीवन प्रजापति ने बताया कि 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान ने कारगिल के एक चौकी को अपने कब्जा में कर लिया था. लेकिन कारगिल युद्ध के समय इस चौकी को हमलोगों ने वापस लिया. जीवन प्रजापति को गोल्ड मेडल के अलावे नौ साल, 21 साल, समुद्री पार, कमांडों कोर्स एवं कारगिल युद्ध की लड़ाई के लिए उन्हें अलग-अलग मेडल मिले. श्री प्रजापति की पत्नी, तीन पुत्री व एक पुत्र है. फिलहाल वे सेवानिवृत्त होने के बाद बरही के एक बैंक में सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात है।