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विदेशी निवेशकों के मामले में देरी से बचे न्यायपालिका : सीजेआइ

नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों और मध्यस्थता वाले मामलों में न्यायपालिका को देरी से बचना चाहिए। इससे द्विपक्षीय निवेश संधियों (बीआइटी) के तहत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को दावों का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे ने सोमवार को यह बात कही। सीजेआइ बोबडे मध्यस्थता कानूनों पर लिखी सुप्रीम कोर्ट की जज इंदु मल्होत्रा की किताब के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे।

सीजेआइ ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका की गतिविधियों के कारण बीआइटी के तहत अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को कई दावों का सामना करना पड़ा है। यह अप्रत्याशित है। न्यायपालिका यह कर सकती है कि इस तरह के मामलों में होने वाली देरी से बचे। सीजेआइ ने चिंता जताते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय दावों के ज्यादातर मामले भारत में चल रही आपराधिक जांच की कार्यवाहियों में अड़ंगा डालने के लिए होते हैं। उन्होंने इन्वेस्टर-स्टेट डिस्प्यूट सेटलमेंट मैकेनिज्म में सुधार की पैरवी भी की।

बीआइटी के मामले इसी मैकेनिज्म के तहत आते हैं। सीजेआइ ने कहा कि जजों को विदेशी इकाइयों से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान हर पहलू पर विचार करना चाहिए। इसी कार्यक्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात पर चिंता जताई कि ऐसे मामलों में अक्सर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप को बड़ा हर्जाना नहीं भरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत संस्थागत मध्यस्थता का केंद्र बनना चाहता है और विदेशी मामलों की सुनवाई को भी यहां अनुमति दी जाएगी।