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शिक्षक और साहित्यकार नहीं होते सेवानिवृत्त

इंदौर। शिक्षक और साहित्यकार समाज के ऐसे अभिन्न अंग होते हैं जो न कभी थकते हैं और ना ही सेवानिवृत्त होते हैं। वे सदैव अध्यापन या सृजनधर्म के लिए क्रियाशील रहते हैं। शिक्षक औपचारिक रूप से जरूर सेवानिवृत हो जाता है पर जब भी उसके समक्ष ऐसी परिस्थिति आती है कि जब उसे दूसरों को शिक्षित करना हो वह अपने दायित्वों से पीछे नहीं हटता। यह बात संस्था हिंदी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेई ने साहित्यकार व लघुकथाकार विशेषज्ञ डा. योगेंद्र नाथ शुक्ल के सेवानिवृत्त होने पर अायोजित कार्यक्रम में कही।
. शुक्ल के सेवानिवृत्त होने परर हिंदी परिवार द्वारा उनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित किया गया। शासकीय निर्भय सिंह पटेल महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डा. शुक्ला का विदाई व सम्मान समारोह महाविद्यालय परिसर में ही आयोजित किया गया। अायोजन की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य कुसुम लता निगवाल ने की। इस अवसर पर हिंदी परिवार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सदाशिव कौतुक, प्रताप सिंह सोढ़ी व महू के पत्रकार रामलाल प्रजापति ने डा. शुक्ल को शाल व श्रीफल देकर सम्मानित किया। प्रदीप नवीन ने काव्यात्मक सम्मान पत्र प्रदान किया।
डा. योगेंद्र नाथ शुक्ल ने कहा कि मैं इस सम्मान को पाकर आभारी हूं। मुझे हिंदी भाषा साहित्य एवं सृजन ने बहुत दिया। इसके साथ ही आप सभी का स्नेह भी मिलता रहा जिसके परिणाम स्वरूप मेरी लघुकथाओं को संस्कृत, पंजाबी, मराठी, उर्दू आदि भाषाअों में स्थान मिल सका। इस अवसर पर कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमों का भी ध्यान रखा गया और सीमित सदस्यों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित हुआ। आभार प्रदीप नवीन ने माना।