इंदौर। इंदौर शहर में कोरोना रौद्र रूप ले रहा है, डा. रवि दोशी ने शहर के लोगों को यह संदेश जारी कर कहा है कि सभी सावधानी से अपने घरों में ही होली मनाएं। डा. दोशी ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों से बेड भर गए हैं, हमें अपने फेफड़ों को बचाने के लिए इस बार घर में ही रहकर त्योहार मनाना है।
एमआरटीबी और सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में गहन चिकित्सा इकाइयों में सारे बिस्तर भरे
इंदौर शहर में संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी का प्रभाव है कि सुपर स्पेशिएलिटी, एमआरटीबी और एमटीएच अस्पताल में आइसीयू के अधिकांश बिस्तर भर गए हैं। ऐसे में मरीजों को अब जनरल वार्ड व एचडीयू में रखकर इलाज किया जा रहा है। इंदौर में यह पहला मौका है कि जब संक्रमण बढ़ने के कारण अधिकांश निजी अस्पतालों के बिस्तर भर गए और मेडिकल कालेज से जुड़े अस्पतालों के आइसीयू बिस्तर भी भर गए। शनिवार को सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में निर्धारित 263 बिस्तरों में से एक भी खाली नहीं था। अब अस्पताल प्रबंधन ने पांचवीं मंजिल पर मरीजों को भर्ती करने की तैयारी की है। पांचवीं मंजिल के बिस्तरों को मिलाने के बाद यहां 360 बिस्तरों की सुविधा मिल जाएगी। इसमें से अभी 263 बिस्तर भर चुके हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण अस्पताल के निजी वार्ड में भी मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है।
एमटीएच और एमआरटीबी में अब सामान्य बिस्तर ही उपलब्ध : एमआरटीबी अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कुल 100 बिस्तर हैं। इनमें से 60 भर गए हैं। जनरल वार्ड के 40 बिस्तर ही रिक्त हैं। अस्पताल में आइसीयू के 26 और एचडीयू के 28 बिस्तर भी भर चुके हैं। ऐसे में यहां आने वाले गंभीर मरीजों को एमटीएच या सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल भेजा जा रहा है। एमटीएच अस्पताल में 200 में से 170 मरीज भर्ती हैं। यहां 80 आइसीयू में से 77 बिस्तर भर गए हैं। एमटीएच अस्पताल में मई और जून माह में जब सुपर स्पेशिएलिटी नहीं खुला था, उस समय अधिकतम 270 मरीजों को भर्ती किया गया था।
तीन से चार दिन में मिल रही जांच रिपोर्ट : शहर के 19 फीवर में संक्रमण की जांच करवाने वाले मरीजों की जांच होने के बाद भी अभी रिपोर्ट तीन से चार दिन में मिल रही है। एमजीएम मेडिकल कालेज में पहले के मुकाबले ज्यादा नमूने भेजे जा रहे हैं। वहां की प्रयोगशाला की क्षमता कम होने के कारण अब भी जांच के लिए नमूने अहमदाबाद भी भेज रहे हैं। पिर भी मरीजों को जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पा रही है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।